टैली का परिचय(introducation of tally)
किसी को बिजनेस का
सलाने वह लाभ कमाने के लिए आवश्यक है तरीके से उसका हिसाब किताब रखे पहले यह
कार्य पुरी तरीके से हाथो से किया जाता था किन्तु आज पुरा काम कम्प्युटर की
मदद से होता है अब अधिकतर व्यवसायीक गतिविधिया कम्प्युटर की सहायता से ही
संसालित की जा रही है पहले जाे हाथो से महीनों वह घन्टो मे करते थे वह आज कम्प्युटर
की मदद से वह कार्य मिन्टो मे हो जाता है कम्युटर पर काम करने के लिए हमे
एकाउंटिग सोफटवेयर की जरूरत होती हे टैली उसी प्रकार का एक सॉफटवेयर हैा टैली
साफटवेयर की यह विशेष्ाता हे की उस पर कार्य करता बहुत ही आसना हे हम आपको टैली
ईआरपी नाईन के बारे में बताएगेा
टैली सिखाने का उदेश्य ( objective of teaching Tally)
1- काॅमर्स तथा बिना काॅमर्स बैकग्राउंड वाले व्यक्तियों
को कम्प्यूटर अकाउंटिंग सिखाना
2- रोजगार प्राप्ति में सहायता प्रदान करना
2- रोजगार प्राप्ति में सहायता प्रदान करना
टैली सिखने का आधार (Base of Teaching Tally)
यह है कि हम सरलता
से टैली सिखाना चाहते हैा
टैली सिखने के स्तर( Different Levels For Teaching
Tally )
1- बेसिक लेवल ( Basic Level)
2- इंटरमीडिएट लेवल (Intermediate Level)
3- एडवान्स्ड लेवल ( Advanced Level)
2- इंटरमीडिएट लेवल (Intermediate Level)
3- एडवान्स्ड लेवल ( Advanced Level)
लेखाकन की परिभाषित शब्दावली 1( Terminology Of Accounting)
·
व्यापार
( Trade)
·
पेशा
( Profession)
·
व्यवसाय
(Business)
·
मालिक
( Owner)
·
पॅूजी
( Capital)
·
आहरण
( Drawings)
·
माल
(Goods
)
·
क्रय
(Purchase)
·
विक्रय
(Sales)
·
क्रय
वापसी (Purchase
Return)
·
विक्रय
वापसी (Sales
Return)
व्यापार ( Trade) -
लाभ कमाने के उदेश्य से वस्तुओ का किया गया क्रय-विक्रय व्यापार कहलाता हैा
पेशा ( Profession) -
आय अजित करने के लिए किया गया वह शाधन जिसके लिए शिक्षा की आवश्यकता होती है वह पैशा कहलात है जैसे डाॅक्टर, इन्जिनीयर टीचर आदी
व्यवसाय (Business)
साधारणत: 'व्यवसाय' शब्द से हमारा मतलब उन सभी मानवीय क्रियाओं से है जो कि धन उपार्जन के लिए की जाती हैं। उदाहरणार्थ-कारखानों में विभिन्न तरह के माल को बनाना, किसानों द्वारा अनाज की उत्पत्ति किया जाना
मालिक ( Owner)
वह व्यक्ती या व्यक्तीयो का समुह जो व्यपार में आवश्यक पूजी लगाते है वह सचालन करते है वह व्यपार के मालिक कहलाते है वह व्यापार का जोखिम सहन करते है तथा लाभ - हानी के स्वामी होते है वह मालिक कहलाते हैा
पॅूजी ( Capital)
व्यापार का मालिक जो रूपया माल वह सम्पती व्यापार में लगाता है वह उस व्यापार की पूॅजी कहलाती है लाभ होने पर पूॅजी बडती है तथा हानी होने पर पूॅजी कम हो जाती है
आहरण ( Drawings)
व्यापार का मालिक अपने व्यक्तीगत खर्च के लिए जो रूपया व्यापार से खर्च करता है वह निकालता है वह आहरण कहलाता है जैसे किसी ने अपने व्यापार के रूपयो से बच्चों के स्कुल कि फिस भरी है तो वह आहरण कहलाती है खर्च नही कहलाता है
माल (Goods )
माल उसे कहते है जिसका क्रय-विक्रय तथा व्यापार किया जाता है जिसमे कच्चा वह बना हुआ दोनो तरिके का माल आता हैा
क्रय (Purchase)
पुन विक्रय के लिए खरीदा गया माल क्रय कहा जाता है यह उदार वह नकद दोना तरीके से क्रय किया जा सकता है
उदाहरण - किसी कपडे के व्यापारी ने कपड खरीदा है तो वह क्रया कहा जाता है लेकीन साज सजावट के लिए खरीदा गया फर्नीचर क्रय नही कहा जा सकता है
विक्रय (Sales)
जो क्रय किया गया माल हम आगे बचते है वह विक्रय कहा जाता है विक्रय दो प्रकार के होते है
1- उदार विक्रय
2-नकद विक्रय
उदार विक्रय वह केस विक्रय दोनो मिलाकर जो पूजी बनती है वह व्यापार का टर्न आवेर कहलाता है
क्रय वापसी (Purchase Return)
जब खरीदा गया कुछ माल विभिन्न कारणों से वापसी किया जाता है तो उसे क्रय वापसी कहते है
विक्रय वापसी (Sales Return)
जब बेसे हुए माल का कुछ भाग व्यापारी वापसी लोटा देता है तो इस प्रकार की वापसी को विक्रय वापसी कहते है
लाभ कमाने के उदेश्य से वस्तुओ का किया गया क्रय-विक्रय व्यापार कहलाता हैा
पेशा ( Profession) -
आय अजित करने के लिए किया गया वह शाधन जिसके लिए शिक्षा की आवश्यकता होती है वह पैशा कहलात है जैसे डाॅक्टर, इन्जिनीयर टीचर आदी
व्यवसाय (Business)
साधारणत: 'व्यवसाय' शब्द से हमारा मतलब उन सभी मानवीय क्रियाओं से है जो कि धन उपार्जन के लिए की जाती हैं। उदाहरणार्थ-कारखानों में विभिन्न तरह के माल को बनाना, किसानों द्वारा अनाज की उत्पत्ति किया जाना
मालिक ( Owner)
वह व्यक्ती या व्यक्तीयो का समुह जो व्यपार में आवश्यक पूजी लगाते है वह सचालन करते है वह व्यपार के मालिक कहलाते है वह व्यापार का जोखिम सहन करते है तथा लाभ - हानी के स्वामी होते है वह मालिक कहलाते हैा
पॅूजी ( Capital)
व्यापार का मालिक जो रूपया माल वह सम्पती व्यापार में लगाता है वह उस व्यापार की पूॅजी कहलाती है लाभ होने पर पूॅजी बडती है तथा हानी होने पर पूॅजी कम हो जाती है
आहरण ( Drawings)
व्यापार का मालिक अपने व्यक्तीगत खर्च के लिए जो रूपया व्यापार से खर्च करता है वह निकालता है वह आहरण कहलाता है जैसे किसी ने अपने व्यापार के रूपयो से बच्चों के स्कुल कि फिस भरी है तो वह आहरण कहलाती है खर्च नही कहलाता है
माल (Goods )
माल उसे कहते है जिसका क्रय-विक्रय तथा व्यापार किया जाता है जिसमे कच्चा वह बना हुआ दोनो तरिके का माल आता हैा
क्रय (Purchase)
पुन विक्रय के लिए खरीदा गया माल क्रय कहा जाता है यह उदार वह नकद दोना तरीके से क्रय किया जा सकता है
उदाहरण - किसी कपडे के व्यापारी ने कपड खरीदा है तो वह क्रया कहा जाता है लेकीन साज सजावट के लिए खरीदा गया फर्नीचर क्रय नही कहा जा सकता है
विक्रय (Sales)
जो क्रय किया गया माल हम आगे बचते है वह विक्रय कहा जाता है विक्रय दो प्रकार के होते है
1- उदार विक्रय
2-नकद विक्रय
उदार विक्रय वह केस विक्रय दोनो मिलाकर जो पूजी बनती है वह व्यापार का टर्न आवेर कहलाता है
क्रय वापसी (Purchase Return)
जब खरीदा गया कुछ माल विभिन्न कारणों से वापसी किया जाता है तो उसे क्रय वापसी कहते है
विक्रय वापसी (Sales Return)
जब बेसे हुए माल का कुछ भाग व्यापारी वापसी लोटा देता है तो इस प्रकार की वापसी को विक्रय वापसी कहते है
लेखाकन की परिभाषित शब्दावली 2( Terminology Of Accounting)
·
रहतिया
( Stock)
·
लेनदार
( Creditor)
·
देनदार ( Debtor)
·
दायित्व ( Liabilities)
1.
स्थायी
दायित्व
(Long Tern/Fixed Liabilities)
2.
चालू
दायित्व ( Short
Tern/Current Liabilities)
·
संपत्ति ( Assets)
1.
स्थायी
संपत्ति
( Fixed Assets)
2.
चालू
संपत्ति ( Current
Assets)
·
व्यय ( Expenses)
1.
प्रत्यक्ष
व्यय
( Direct Expenses)
2.
अप्रत्यक्ष
व्यय(Indirect
Expenses)
रहतिया ( Stock)
किसी भी व्यवसाय में वर्तमान मे जो माल उपलब्ध है वह रहतिया कहलाती है
वर्तमान में जो माल बिना बिके रह जाता है वह क्लोज स्टोक कहलाता है वह अगले साल के पहले दिन वह माल ओपनीग माल कहलाता है
लेनदार ( Creditor)
वह व्यक्ति वह संस्था जो किसी अन्य व्यक्ति वह सस्था को उदार माल व सेवाये बेचती है या रूपया उदार देती है वह लेनदार कहलाते हैा
उदार माल बेचने वाला लेनदार कहलाता है
देनदार ( Debtor)
वय व्यक्ति वह संस्था जो किसी अन्य व्यक्ति वह संस्था से रूपया वह माल उदार लेती है वह देनदार कहलाती है
उदार माल खरीदने वाला देनदार कहलाता है
दायित्व ( Liabilities)
वह सब श्रण जो व्यापार को अपने स्वामी अथवा स्वामी के प्रती चुकाने होते है वह दायित्व कहलाता है यह दायित्व दो प्रकार की होती है
स्थायी दायित्व (Long Tern/Fixed Liabilities)
यह वह दायित्व है जो एक साल से ज्यादा समय अथवा व्यापार समाप्ती पर चुकाने होते है
चालू दायित्व ( Short Tern/Current Liabilities)
यह वो दायित्व है जो एक साल वह एक साल से कम समय में दे देना वह चुकाना होती हैा
संपत्ति ( Assets)
स्थायी संपत्ति ( Fixed Assets)
चालू संपत्ति ( Current Assets)
लेखाकन की परिभाषित शब्दावली 3( Terminology Of Accounting)
राजस्व
आय
प्रत्यक्ष आय
अप्रत्यक्ष्ा आय
बटटा छुट
व्यापारिक बटटा
नगद बटटा
डुबत
Meaning of Assificaton Rules Of Accounting
खाते
(ACCOUNT)
·
खाते
सेआश्य (
Meaning of Account)
·
खातों
का वर्गीकरण ( Classification
of Account)
·
खातों
को लिखने के नियम (Rules of
Account)
खाते सेआश्य: किसी व्यक्ती विशेष वस्तु सम्पती लाभ हानी तथा आय व्यय आय से सम्पतीया या व्यवहारों को सरल रूप से हिसाब-किताब की पुस्तकों में जिस विशलेष्ाण में लिखा जाता है वह खाते कहलाते हैयहतारिखोंवह नम्बरों के क्रम में नियमा अनुसार लिखे जाते हैा
उदाहरण :- आशा टेडर्स से सम्बधीत सारे लेन देनो का हिसाब एक जगह पर सरल रूप से लिखा जायेगा वहआशा टेडर्स का खाता कहलाएगा
इसके दो भाग होगे एक केडिट साइड होगी और दुसरा भाग डेबिट साइड होता है डेब्िाट हमेसा लेफट साइर्ड की तरफ लिखा जाता है तथा केडिट को राईट साईड की तरफ लिखा जाता हैा
टेली में खातों को लेजर कहते हैा
जब किसी खाते के नाम पक्स में एन्टी की जाती है तो वह नाम वह केडिट कहते है अग्रेजी भाषा मे इसको सरल रूप में Cr. कहते हैा
जब किसी खाते के जमा पक्स में एन्टी की जाती है तो वह नाम वह डेब्िाट कहते है अग्रेजी भाषा मे इसको सरल रूप में Dr. कहते हैा
खातों का वर्गीकरण :- खाते तीन प्रकार के होते है
1.
व्यक्तिगत
खाते
(Personal Account)
2.
वास्तवीक
खाते (
Real Account)
3.
नाममात्र
के खाते (Nominal
Account)
व्यक्तिगत खाते (Personal Account):- यह वह खाते होते हे जो किसी व्यक्ति सस्थान तथा फर्म से सम्बधीत होते है
जेसे : Capital Account, Drawing Account, Rams Account, Asha Trader Account, ABC Ltd., Banks Account
इससे व्यपारी यह जान पाता है कि किस व्यक्ति को कितने रूपर्य लेने वह देने हैा
वास्तवीक खाते( Real Account):- यह वह खाते होते है जो किसी वस्तु या सम्पती से सम्बन्धीत होते है
जेसे: Cash Account, Furniture Account, Machines Account, Building Account, Land , Motor
इसका एकाउण्ट हमेसा डेबिट होता हैा
नाममात्र के खाते (Nominal Account) :- यह वह खाते होते हे जिनका सम्बन्ध लाथ तथा हानी आय तथा व्यय से होता हे
जेसे : Interest, discount, Commission, Wages, Purchase, Sales
इन खातो का योग सालभर की आय तथा व्यय को दर्शाता है साल के अत में इस्से लाभ-हानी तथा व्यपार के खातो में हस्तास्थानान्तरीत कर बन्ध कर दिया जाता हैा
खातों
को लिखने के नियम(Rules of Account)
व्यक्तिगत खाते (Personal Account) लिखने के नियम
इसमे पाने वाले को डेबिट
करो तथा देने वाले को क्रेडिट करो
Debit
The Receiver & Credit the Giver
मान लिजिये हमने
राम को हजार रूपये चुकाये यहा पर
दो खाते प्रभावीतहुए पहला तो रामका खाता तथा दुसरा केस खाता जो वास्तविक खाते ( Real Account) केअन्तर्गत
आता है राम केस प्राप्त कर रहा है इस लिए नियमाअनुसार राम का खाता डेबिट
होगा
मान लिजिये मोहन से दो हजार रूपये प्राप्त हुए यहा पर भी दो खाते प्रभावीत
हुए पहला मोहन का खाता तथा दुसरा केस
खाता जो वास्तविक खाता( Real Account) है दसमे मोहन देने वाला
है दसलिए नियमाअनुसार मोहन का
खाता क्रेडिट होगा
वास्तविक खाते( Real Account) लिखने के नियम
जो वस्तु व्यपार में
आए उसे डेबिट करो तथा जो वस्तु व्यपारसे जाए उसे क्रेडिट करो
जब सादे के
दानो पक्स वास्तविक खाते( Real Account) हो
तो जो वस्तु व्यपार में आए उसे डेबिट करो तथा जो वस्तु
व्यपार से जाए उसे क्रेडिट करो
जेसे : हमने हजार रूपये का नकद फर्नीचर खरीदा इसमे फर्नीचर आया ओर केस गया इस लिए नियमाअनुसार फर्नीचर खाता
डेबिट हाेगा तथा केस एकाण्उड
क्रेडिट किया जाएगा ा
नाममात्र के खाते (Nominal Account) लिखने के नियम
व्यय एंव हानियों को डेबिट करो तथा आय एव लाभो को क्रेडिट केरा
जेसे : 1500 रूपये हमने
नकदी भुगतान किया
इसमे दो खाते प्रभावीत हुए एक
तो सेलेरी खाता जो नाममात्र खाता (Nominal Account) है तथा दुसारा केस
एकाउण्ट जो वास्तविक
खाते ( Real Account) के अन्दर आता हैा
लेखा के स्वर्ण नियम (Golden Rule of Accountancy in
Hindi )
हर लेन - देन दो खातों को प्रभावित करता है. इसीलिए इसे दोहरी
प्रविष्टि प्रणाली कहा जाता है
पर्सनल A/C
|
रियल A/C
|
नॉमिनल A/C
|
डेबिट - प्राप्तकर्ता (पाने वाले) को
(Debit
The Receiver)
|
डेबिट - जो आता है
Debit What Comes In
|
डेबिट - खर्च और हानि
Debit All
Expenses And Losses
|
क्रेडिट- दाता ( देने वाले) को
Credit The Giver
|
क्रेडिट - जो जाता है
Credit What Goes Out
|
क्रेडिट - मुनाफा और लाभ
Credit All Income And
Gains
|
उदाहरण के लिए मान लिजिये की
अप्रैल 1 को
महेश ने 80,000 रूपये से व्यापार प्रारंभ किया है
अप्रैल 2 को
10,000
रूपये बैंक में जमा
करता है
अप्रैल 3 को
30,000
रूपये का सामान खरीदता है
अप्रैल 6 को
1,600 रूपये का समान बेचता है,
अप्रैल 7 को
1,000 रूपये का मकान का
कियाया
दिया है
मार्च 5 को
मार्च 5 को
50 रूपये का बैक ने ब्याज
दिया है
ग्रुप का आशय एवं इसकी उपयोेगिता
( Meaning Of Group and It's Utility in Tally )
( Meaning Of Group and It's Utility in Tally )
हम सब जानते है कि
टेली में अलग-अलग बहुत सारे खाते होते है जेस : केस एकाउण्ड,परसेज एकाउण्ड, रेन्ट
एकाउण्ड, सेल्स एकाउण्ड, एसे सेकडों एकाउण्ड होते है इसके अन्दर भी सो दोसो
अलग-अलग एकाउण्ड खुलते है लेकिन हम चाहते है कि हमारे सभी एक प्रकार के
ग्रहाको का विवरण सक्षिप्त में एक ही जगह पर आ जाए जिससे आसानी से जानकारी
प्राप्त हो सके इसके लिए हमे एक शीर्षक एक अन्तर्गत एक ही प्रकार
के सभी खातो को खोलना होगा
उदाहरण के लिए - हमार
बिजनेस के चार अलग - अलग बैकों में खाते है
जैसे :- BANK OF BARODA, PNB, SBI, HDFC
BANK में चार पाच अलग - अलग खातें
है जो यह सभी एक ही प्रकार के खाते हे तो
हम इन सभी खातो एक ही शीर्षक के ग्रुप में डाल दिया जाएगा जिसका नाम बैक एकाउण्ड दिया
जाएगा
एकाउण्ड कुछ इस तरह
होगा
ग्रुप नाम :- बैक एकाउण्ट
इस ग्रुप में निम्न
खाते होगे जिसे हम लेजर कहेगे
1.
BOB BANK
ACCOUNT
2.
PNB BANK
ACCOUNT
3.
HDFC
BANK ACCOUNT
4.
SBI BANK
ACCOUNT
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